Thursday, August 20, 2020

When the brain explodes with energy


                                                    Euphoria

क्या है ये 
लगता है रगों में खून बनकर  
जूनून दौड़ रहा है
कतरा कतरा मुझमे से मेरा 
डर निचोड़ रहा है 
ये आज़ादी तो थोड़ी पागल है 
थोड़ी घातक है 
इसे जैसे मालूम ही नहीं 
की ज़िन्दगी की भी 
कोई कीमत है 

 लगता है जेहन ने 
ज़ंजीरें तोड़ दी है
सारी शर्म ओ लिहाज़ 
छोड़ दी है 
खुदी के एहसासों की गर्मी से 
तप्ता है बदन  
फटती हैं नसें 
और मचलता है मन 

पैर रुकते नहीं ज़मी पैर 
रास्तों की परवाह न कोई 
और न मंज़िल से कोई मतलब है 

मुश्किल है पता करना 
आज़ादी पागल होती है 
के कोई पागल आज़ाद हो गया है 

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