Sunday, November 6, 2016

The matrix of words...


                                                                     शब्दजाल

मेरे दिल से निकली एक तरंग थी वो 
जेहन तक पोहोंची तो ख्यालों में ढल गयी 
जुबां पर आई तो लफ्जों में बदल गयी 

मेरे दिल से निकली एक तरंग थी वो 
जिसे मेरे जेहन की समझ ने , डर ने , विश्वास ने , स्वाभाव ने 
मैला कर दिया 

जब वो हवाओं को चीरकर 
तुज तक पोहोंची 
तब वो और भी मैली थी 

मेरे दिल से निकली एक तरंग थी वो 
जो इस शब्दजाल में उलझकर 
तेरे दिल का ठिकाना भूल गयी 

तो आओ बनाएं हम दिल के पार एक खिड़की ऐसी 
की मेरे दिल से निकली तरंग तेरे दिल से जा मिले 
लफ्जों का कोई वजूद ही न हो 
न कोई सच न झूठ न सही न ग़लत



Tuesday, October 18, 2016

The dangerous feeling


                                                       एहसास 

देखकर तेरी मुस्कान निराली 
भर जाती है मेरे मन की प्याली 
मुझे मेरा ख़्याल ही नही रहता 
बस तुझे सुनता हूँ मैं नहीं कुछ कहता 
कैसे कहूँ, जेहन में कोई शब्द ही नहीं रहता 

तेरी आवाज़ की ज़ंजीरें जकड़ लेती हैं मेरी धड़कनों को 
रक्त थम सा जाता है मेरी नसों में 
तुझे क्या बताऊँ कैसे मर मर के जीता हूँ मैं उन पलों में 

दिल  ढूंढता है आज़ादी इस हसीं दर्द से 
तेरे इश्क़ के इस बेरहम मर्ज़ से 

क्या तेरी आवाज़ का ये जादू है
या तेरे नूर का सुरूर है मुझे
नहीं, ये कुछ और ही है जो मुझे तुझसे जोड़ता है 
और फिर मेरे एहसासों का रुख़ तेरी तरफ मोड़ता है 

शुक्र है मेरे एहसासों का एहसास नहीं है तुझे 
वरना इतना दर्द तू कहाँ सह पाता   

Saturday, September 24, 2016

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                                             leisure

फिर इक शाम गुज़रती है,इक सूरज ढल्ता है 
फिर ज़िन्दगी का एक दिन मिट्टी में जा मिलता है  
उस अँधेरी रात में ख्यालों के बादल छाते हैं 
कल फिर जीने की वजह बताते हैं,कमज़ोर सी एक वजह 
क्या है वो वजह ,क्यों चलती है सांसें बेवजह 
क्यों नहीं रूकती ,क्या तुम जानते हो

चलो छोड़ो मुद्दे की बात पर आते हैं 
रात गुज़र जाती है ,बादल बरसकर मिट जाते हैं 
और वो वजह भी जो उनकी पनाह में पल रही थी 
फिर दिन का उजाला छाता है ,और वो राही सब कुछ भूल जाता है 
पिछली बारिश को भूलकर फिर सूखे से जा घिरता है 
यूँ मारा मारा सा फिरता है 
मानो सूरज की किरणे उसकी यादाश्त मिटा देती हैं 

फिर वाही सवाल उठता है क्यों चलती हैं साँसें ?