Monday, March 20, 2017

Dysphoria

                       नब्ज़


ज़िन्दगी थम सी गई है
कि मौत भी अब तो
एक हलचल सी लगती है
छोटी सी हलचल

यूँ लगता है मेरा हर ख्वाब
बिजली की तार सा है
जिसमें ज़िन्दगी भरी हो
रफ़्तार भरी हो
वो बदलाव भरा हो
जिसकी तलाश है मुझे

मगर ये समझ
रोकती है मुझे वो तार छूने से
इसे लगता है ये मौत है
मगर दिन और रात का चक्कर लगाता
ये मुज्जसिमा ज़िंदा कहाँ है

नब्ज थम गई है इसकी
दिल बेचैन है उस बिजली के लिए
उस हलचल के लिए
जब हर लम्हा एहसास मेरे
इक बदलाव का जाम पियें

इक आस है
शायद मेरी नब्ज फिर से चल पड़े

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