चोरी
ये चार दिन की चांदनी हमें गवारा नहीं
हम दुनिया से चाँद ही चुरा लेंगे
अगर तरसेगी दीदार-ए-चाँद को ये कायनात
फिर भी हम चाँद को न देंगे
फिर न होगी पूर्णमाशी
न अमावस्या
न करवाचौथ की कोई समस्या
चारो तरफ अँधियारा होगा
वो खूबसीरत चाँद सिर्फ हमारा होगा
और वो रूहानी चांदनी भी
हम दुनिया से चाँद ही चुरा लेंगे
रातों के सर्द सन्नाटों में
उसे अकेले ही ताकेंगे
उसके सारे दागों को
हम खुद में समां लेंगे
दुनिया की काफिर नज़रों से
हम उसे बचा लेंगे
ये चार दिन की चांदनी हमें गवारा नहीं
हम दुनिया से चाँद ही चुरा लेंगे
Sahi hai bhai
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